उस समय सुबह के 7 बज रहे थे. XXXBF अब मेरे लंड में से गाड़ा पानी निकलने लगा, वो सारा का सारा पानी पी गयी.फिर मैंने कहा कि ये मेरे लंड से क्या निकल रहा है? फिर मैंने कहा कि छी ये तो गंदी चीज़ है, इससे तो में पेशाब करता हूँ. मेरे जिस्म में कपकपी होने लगी.फिर में चुपचाप कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा और फिर ना ज़ाने क्यों मुझे मस्ती सी चढ़ने लगी? फिर मैंने कहा कि आंटी ये बहुत गंदी है, तो उन्होंने वो किताब खोली और मुझे एक फोटो दिखाया और कहा कि देख ये भी तो यही कर रही है.अब जल्दी कर इतना टाईम नहीं है. फिर एक चीख के साथ उन्होंने अपनी पिचकारी छोड़ दी और फिर उन्होंने मुझे टावल से साफ करके मेरे कपड़े मुझे पहनाकर और कंघी करके उन्होंने मुझे फिर से तैयार कर दिया.अब में बाहर आया तो अंकल जी मुझे देखकर हंस रहे थे. फिर वो बोली कि तू क्यों अपने अंकल से डर रहा है? अब मुझे उनकी गांड मारने में बहुत मज़ा आ रहा था, क्योंकि चूत के मुक़ाबले गांड ज्यादा टाईट थी. फिर मैंने और ज़ोर लगाया तो मेरा लंड उनकी गांड में पूरा फिट हो गया. अब मेरा शरम के मारे बुरा हाल था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.















