उत्सव के पापा दुसरा होटल बंगलुरु में खोलने बाले थे इस वजह से उनका बंगलुरु आना जाना सुरु हो गया और अब किचन में मैं और उत्सव की माँ ही रहते थे किचन में, उत्सव भी हैदराबाद चला गया कंप्यूटर में पढाई करने के लिए.आंटी मुझसे काफी हिल मिल गयी थी, मैं भी होटल को बड़े अच्छे तरीके से संभल लिया था, किसी तरीके से कोई परेशानी नहीं थी, उत्सव के पापा भी बड़े खुश थे, अब वो लोग मुझे अपने घर का ही सदस्य समझते थे, आंटी की उम्र करीब 39 साल थी, उनकी शादी कच्ची उम्र में ही हो गया था और उत्सव के बाद कोई और बच्चा नहीं था इसलिए आंटी काफी यंग लगती थी |एक दिन आंटी टॉप और जीन्स में थी उनकी चूचियाँ काफी फूली हुयी और टाइट लग रही थी और उनका गांड भी काफी उब्बरा हुआ लग रहा था, मैं उनकी चुचिओं को नज़र मार रहा था, क्यों की उस दिन वो गजब की सेक्सी लग रही थी, जब वो कुछ सामान उठाने के लिए झुक रही थी तो उनकी दोनों चूचियों दिख जाती थी.दोनों एक दूसरे से चिपके हुयी बीच में सिर्फ एक लकीर सी दिखती थी, मेरा मन डोल रहा था उस दिन इसके पहले मैंने कभी भी गलत नज़र से नहीं देखा था, पर आज उनकी सेक्सी ड्रेस के चलते ये सब















