मैंने सुजीत से कहा।तृप्ति हँस पड़ी। उसने अपनी शेविंग किट लाकर दी। मैंने अपने हाथों से उसकी झांटे बनाने का सुख लिया। बड़े प्यार ने उसके भोंसड़े पर शेवर चलाया। अब वो तितली जादा जीवंत हो उठी। बिलकुल नयी। लगा कहीं उड़ ना जाए।भाई!! XXXBF मैंने कहा।मुझे आज भी अच्छी तरह याद मैं उस हफ्ते हम सबसे गाड़ फाडू काम किया था। अमेरिका के कंप्यूटर्स में कोई टेक्निकल खराबी आ गयी थी, इसलिये हर अमेरिकन हम इंडियंस को ही फोन कर रहे थे। हम उनकी एक्सेंट में ही उनसे बात करते थे। रोज की हम सभी 250, 300 काल लेते थे। तृप्ति को चोदने का प्लान शनिवार की रात को बना था।मैं और सुजीत तृप्ति को उसी के फ्लैट में चोदेंगे, यही प्लान बना था, पर ठीक उल्टा हो गया। जादा काल की वजह से हम तीनों दोंस्तों को शनिवार की सुबह तक काम करना पड़ा। उसके बाद हमारी कैब हम सबको अपने अपने घरों पर छोड़ गयी। इस तरह दोंस्तों पूरा शनिवार निकल गया।संडे की सुबह को ही हम रेडी हो पाए। मैंने अपनी बुलेट निकाली और सुजीत को लेकर तृप्ति के गुड़गांव वाले फ्लैट पर चला गया। मुझे ये भी लगता है कि काल सेंटर वालों पर बड़ा प्रेसर रहता है इसलिए हर लड़की लड़का चुदाई और शराब और सिगरेट का सहारा लेता है।मैं अपने साथ बिअर का पूरा कंटेनर ले









