भारत की विदेशी स्त्री का अंतरंग स्पर्श

हमारी जुबाने बंद थीं, बदन, शरीर से बातें हो रही थीं, स्पर्श की भाषा चल रही थी… भावनाओं का तूफ़ान उमड़ रहा था… हम एक दूसरे में खोये थे…अपना मुंह मैं उसके पेट पर ले गया.. XXX Hindi उसकी चूचियां मेरे सीने में चिपक कर फ्लैट हो गयी. शाम को अब मैं घर जल्दी अ जाता था.. उसकी आंखें बंद हो गयीं.. लगातार पानी छोड़े जा रही थी उसकी चूत से रिस रिस कर पानी बह रहा था..मेरा लौड़ा सिकूड कर बाहर आ गया एक पक्क की आवाज़ के साथ… भारती पैर फैलाये लेटे थी.. और हाथ अन्दर डाल दिया, underwear के ऊपर से लौड़ा मुट्ठी में लिया और हलके हलके दबाने लगी…”आह…” मैं भी मस्ती में आ गया…मैं उसे चूम रहा था, उसके होंठ चूस रहा था और वो मेरे लौड़े से खेल रही थी, उसे भींच रही थी.. अब मैं जाता हूँ, काफी थक गया हूँ.. फिर मैं उठा… घडी देखा तो सुबह के 5 बज चुके थे… मैं उठा, बाथरूम गया.. मैं बस देखता ही रहा.. और इधर हमारे मोहन भाई दनादन हाथ मारते हुए अपने सभी ग्राहकों को फटाफट निबटाया, फिर पानी से अपने हाथ धोये.और मेरे लिए पान के चार सब से अछे पत्ते चूने, उन्हें कैंची से बड़ी सावधानी से कुतरते हुए मेरे से कहा “सागर साहेब, आप मेरे स्पेशल ग्राहक हो, आपको जनता छाप पान कैसे दूं..??

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