ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” करके चिल्लाना उसका बंद नही हुआ।मैं आरोही की गांड में तेज धक्के मारने लगा। कितनी कसी गांड थी उसकी…भई वाह!!..मैंने तो दीवाना हो गया था आरोही की गांड का। आरोही चिल्ला रही थी, मगर बड़ी बहादुरी से गांड मरवा रही थी। उसके जिस्म का रोम रोम खड़ा हो गया था। हम दोनों को सर्दी के मौसम में भी पसीने छूट गए थे।मैं तेज तेज अपनी कमर चला रहा था, मेरा ताकतवर लंड उसकी कसी गांड में ही अपनी जगह आराम से बना पा रहा था। इसी बीच मैंने कस कसकर अपना हाथ आरोही के दूध पर मार दिया। दूध मेरे हाथ की चपत खाते की लाल हो गए और दाए बाए हिलने लगे। फिर मैं आरोही के उपर लेट गया और उसके दाए मम्मे को मैंने मुंह में भर लिया और दूध पीते पीते मैं आरोही की गांड चोदने लगा। ये अभूत ही सुंदर और हसीन अनुभव था।आरोही अभी भी चिल्ला रही थी और बार बार अपनी गांड की ओर सिर उठाकर देखने की नाकाम कोशिश कर रही थी, पर फिर भी उसे अपनी गांड नही दिख रही थी। वो अभी भी ऊऊऊऊ आ आ आ आ …..करके चिल्ला रही थी, हो सकता है उसकी गांड और रसीली चूत में दर्द हो रहा हो। मैंने ४० मिनट उसकी गांड चोदी और माल उसी में निकाल दिया। आरोही की गांड















