क्या मस्त चूत है इस कबूतरी की!!” सेठ खुद में बुदबुदाया पर फिलहाल वो अस्मिता की नाभि पी रहा था।बहन ने ५ दिन पहले अपनी चूत की झाटे बना ली थी। इसलिए ढाई मिली सेंटीमीटर जितनी हल्की हल्की झांटे अस्मिता की पूरी चूत पर उग आयी थी। सेठ बड़े प्यार से अपनी उँगलियाँ मेरी बहन की चूत पर फेर रहा था। फिर वो अस्मिता क चूत की घाटी में आ गया। और मुँह लगाकर रसीली चूत का पान करने लगा।बहन की बुर बहुत गुलाबी, बहुत सेक्सी और बहुत मीठी थी। अस्मिता की चूत का डिसाईन बिलकुल मोमोस जैसा लगता था। चूत के होठ अपने में ऐठे हुए थे और बहुत आकर्षक लगते थे। सेठ मेरी बहन की चूत मस्ती से पी रहा था।फिर उसने मस्ती से चूत के दोनों होठ अपनी ऊँगली से खोल दीये और मजे से मेरी बहन की बुर पीने लगा। जैसे जैसे सेठ जल्दी जल्दी अपनी जीभ को अस्मिता की बुर से टकराता था, अस्मिता अपनी गांड उठा देती थी। ना जाने क्यों सेठ कम से कम आधे घंटे तक बहन की बुर पीता रहा। अस्मिता पागल सी हो गयी।“सेठ जी….अपनी माँ मत चुदाओ!!….चोदना है तो चोदो…मुझे इस तरह मत तड़पाओ!!” उसने बोल दिया।कुछ देर बाद सेठ ने अस्मिता के दोनों घुटने उपर कर दिए और उसकी रसीली चूत में लौड़ा डाल दिया। उफफ्फ्फ्फ़ …..क्या मोटा 7” का















