ताज्जुब की बात यह थी कि पहली बार मुमताज भी उसके साथ आई थी. BF XXX तुम्हे और वक़्त चाहिए तो…?“जो काम अभी हो सकता है उसमे देर क्यों करें?” मुस्तफा ने मेरी बात पूरी होने से पहले ही जवाब दिया. ओsssह!’ उस के मुँह से निकलने वाली सिसकारियों से मुझे लगा कि उसे इस काम में खासा मज़ा आ रहा था. उसने अपनी बात पूरी की, “दरवाजा बंद नहीं है!”उसकी बात सुन कर मेरी नज़र दरवाजे पर गई. उसने भी जवाब में मेरे घुटने को अपने घुटने से सहला कर जैसे इशारा कर दिया कि उसे कोई एतराज़ नहीं था. उसकी जीभ फिर मेरी जीभ से टकरा रही थी. मैं उसे लिफ़ाफे से बाहर निकालता उससे पहले मुस्तफा बोला, “ओह, मैं तुम से एक बात पूछना भूल गया. उनके मध्य में उत्तेजना से तने हुए निप्पल! मेरा लंड भी अब चूत की गिरफ्त का ख्वाहिशमंद था.मैं उसके ऊपर लेट गया. मुमताज ने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत से सटा दिया.मैंने अपने चूतड़ों को आगे धकेला तो मेरा लंड चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर समाने लगा. मेरा मन कर रहा था कि मैं उसके मम्मों को कपड़ों की क़ैद से आजाद कर दूं.















