कुछ करना मत बेटा…” दिल ही दिल में वो सोचती जा रही थी।वो उस रात एक किटी पार्टी में थी जब पहली बार उसका और उसके बेटे राजीव का रिश्ता बदल गया था। हर महीने वो और उसकी कुछ दोस्त मिलकर एक किटी पार्टी रखते थे जहाँ पर सिर्फ औरतें होती है, और वो सब सुधा की अच्छी दोस्त थीं। पार्टी के दौरान शराब बहुत ही आम बात थी।पार्टी में मौजूद सारी औरतें पीती थी और उसके बाद पार्न मूवीस और गंदी बातों का सिलसिला चलता। जब वहाँ मौजूद औरतें अपना मुँह खोलती, तो शर्म के सारे पर्दे हटाकर बात करती। अपने ग्रुप में एक सुधा को छोड़कर सब औरतों के बायफ्रेंड थे, ज्यादातर जवान लड़के और वहाँ सब अपने एक्सपीरियेन्सेस शेयर करती।कौन किस पोज में किससे चुदी, कब चुदी, कितनी देर चुदी, कैसे चुदी, सब खुलकर बताया जाता। पार्टी में चलेंज था की कौन सी औरत एक साथ कितने मर्दो को झेल सकती है और उसका रेकार्ड फिलहाल मिसेज शुक्ला के नाम था जिन्होंने एक साथ एक ही बिस्तर पर चार मर्दो से चुदवाया था।पूफ के तौर पर उन्होंने अपनी खुद की बनाई हुई एक फिल्म लाकर दिखाई थी जिसमें वो अपने बेडरूम में चार चार के साथ अकेली भिड़ी पड़ी थी। उस रात भी यही हाल था। शराब और वासना हवा में थी और बेशर्मी हर औरत की जुबान पर।















