गर्मजोशी से चुदाई करते हुए बर्तन बेचने वाली मादा आंटी की चीखें

सौम्या ने शरारत से पूछा।क्यों चूत नहीं मरवाओगी क्या। सुजीत ने कहा।देखो सुजीत मैं आई तो इसीलिए थी। उसदिन आखिरी में ही पूरा मजा आया और आज मैं खुलकर मजा लेना चाहती हूं। मगर जो भी करना है जल्दी करो, क्योंकि मोना से बहाना बनाकर आई हूं। ज्यादा देर हो जाएगी तो वह मुझे ढूंढने लगी।सौम्या के इतना कहते ही सुजीत ने उसकी फ्राक भी उतार दी। जांघिया तो उसका पहले ही उतर चुका था। इसके बाद सुजीत ने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और सौम्या को बिस्तर पर लेटा दिया। सौम्या बलिहारी होने वाली नजरों से सुजीत के तन चुके लौड़े को निहार रही थी।सुजीत आया और धीरे-धीरे उसकी चूंचियों को दबाया और फिर होंठ एक चूंची पर रख दिए। इधर उसका हाथ सौम्या की चिकनी चूत पर थिरक रहे थे, उधर वह सौम्या की चूंची को बड़े प्यार से चूस रहा था। सौम्या के सारे शरीर में सनसनी दौडऩा शुरू हो गई। सुजीत ने बारी-बारी सौम्या की दोनों चूचियों को चूसकर उसे काफी उत्तेजित कर दिया।इसके बाद सिर नीचे लाया और मुंह उसकी चूत पर रख दिया। सौम्या की चूत की खुशबू आज कुछ अलग ही थी। सुजीत जीभ निकालकर मजे से उसे चाटने लगा। इधर सौम्या का हाथ सुजीत के सिर पर था और वह उसके बालों को प्यार से सहला रही थी।सुजीत काफी देर तक सौम्या की

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