और उसे चोदने के लिए गाँव बुला लिया था, अब आगे- Thriller Sex Kahaniकाली रात थी और टिमटिमाते हुए जुगनुओं के बीच मैं गांव पहुचा समय बहुत हो चुका था लगभग 12 बज चुके थे, पूरे गांव में सन्नाट पसर गया था, ऐसे भी यहां 8-9 बजे ही लोग सो जाया करते है, मैं अपनी उम्मीद से पहले ही पहुच गया था, इतनी तेज गाड़ी मैने कभी भी नही चलाई थी.मेरा घर गांव से थोड़े दूर में था ऐसे भी वँहा अधिकतर बड़े घर गांव से थोड़े दूर में बसे थे, मेरा घर भी उनमे एक था जिसमे बड़ा सा बगीचा था और दो मंजिली इमारत थी, ऐसे तो चारो ओर घेरा किया हुआ था लेकिन शांत इलाका होने के कारण चोरी के डर से मुक्क्त था, बस जंगली जानवरो से फसल को नुकसान ना हो जाए इसलिए तारो से घेर दिया गया था.मैंने कर अपने घर के बाहर रोकी मुख्य इमारत और गेट के बीच अच्छी खासी दूरी थी, पिता जी का सपना था की एक बंगले जैसा घर हो, वो बंगला तो नही बन पाया लेकिन एक फार्महाउस जैसा जरूर बन गया था मैं बाहर खड़े होकर फिर से खुशबू को फोन लगाया लेकिन कोई जवाब नही पाकर मैं कार वही छोड़कर दरवाजे से खुदकर अंदर गया.मुझे तो घर का कोना कोना पता था अगर कोई दरवाजा नही खोला तो















