वो औरत काँप गयी और हाँ में ऊपर नीचे सिर हिलाने लगी। मैंने अनुपम को इशारा किया झोपड़ी में आग ना लगाने का। उस ने लालटेन फिर से खूटी में टांग दी।मैंने ठण्ड में कपड़े निकाल दिए। बर्फ सी कुल्फी जमी जा रही थी। पर गर्म चूत मिलेगी, इससे राहत थी। मैंने उस जवान मालदार और फूली फूली पूड़ी की तरह दुधदार छतियों वाली औरत के पैर खोल दिए चोदने नोचने के लिए। उसके हाथ और मुँह को बंधे रहने दिया।।मैं जुगाड़ से उसका स्वेटर, ब्लॉउज़ निकाल दिया। कोई ब्रा नही। सायद गांव की गवारिन ब्रा व्रा नही पहनती है। मैंने उसकी सारी , पेटीकोट निकल दिया। कोई पैंटी, चड्डी नही। मेरे मुहँ में पानी भर आया। मैं पुरानी चरमराती चारपाई पर उस शौच आयी औरत को लिटा कर उसपर लेट गया। भर भरके उसकी फूली फूली छातियां पीने लगा। वो औरत रोई जा रही थी।रो मत! हम तुझे सुबह जाने देंगे, वरना हम इस झोपकी में ये लालटेन फोड़ के आग लगा देगे और भाग जाएंगे। तू इसी में जलकर मर जाएगी!! XXX Hindi मांसल लाल गुलाबी दानेदार चूत के दर्शन हुए। थोड़ा और खोला तो गोल गोल रिंगवाला छेद के दर्शन हुआ। मैंने बढ़कर छेद में अपनी झीब डाल दी।वो शादी शुदा औरत मचल गयी। मैं उसके चूत को कसके रस ले लेकर जीभ डालकर पीने लगा। वो औरत मचलने लगी। गाण्ड















