तो भी चलती ट्रेन में चोद लो मुजको!” मैंने कहा.धीरे धीरे यूसुफ मेरे बूब्स दबाता रहा और मेरे होठ पीता रहा। कुछ देर बाद मैंने सरेंडर हो गयी और पूरी तरह से उस अजनबी लड़के शादाब की बाहों में आ गयी और उसके इशारे पर नाचने लगी। शादाब ने मेरी जींस की बटन खोल दी और अपना हाथ अंदर सरका दिया।कुछ देर में उसके हाथ ने मेरी चूत को ढूढ़ लिया। शादाब मेरी पेंटी पर से मेरी चूत को छूने और सहलाने लगा। मेरी किस्मत अच्छी थी की बगल वाले डिब्बे में कई लोग बैठे थे, पर सब अपने अपने काम में मस्त थे। कोई अख़बार पढ़ रहा था, कोई अपने कान में लीड लगाकर गाना सुन रहा था।कई लोग तो लम्बा लम्बा हाक रहे थे और गप्पे मार रहे थे। इधर बगल वाले डिब्बे में मैं किसी छिनाल की तरह उस अजनबी हैडसम लड़के से चुदवाने वाली थी। शादाब के होठ मेरे होठो पर थे, उसका एक हाथ उपर से मेरे टॉप में घुसा हुआ था और मेरे बूब्स को जोर जोर से किसी टमाटर की तरह दबा रहा था और शादाब का दूसरा हाथ मेरी जींस में घुसा हुआ था और मेरी चूत को सहला रहा था।बड़ी देर तक मैं शादाब के साथ इश्कबाजी के मजे लुटती रही, फिर उन्नाव जंक्सन आ गया। वहां पर बहुत से समोसे वाले समोसा















