और फिर मुझे अचानक लगा कि उनके होंठ मेरे होंठों से टकरा गये। मैंने अपनी आँखें खोली तो उनका चेहरा मेरे होंठों के बहुत ही पास था। मैं तो मदहोश हो उठी और मेरे नाजुक पत्तियों जैसे होंठ खुल गये। जीजू के होंठों ने मेरे निचले होंठ को धीरे से दबा लिया।‘जीजू…हाय रे…बस करो …आह्ह्ह !’ मेरे मुख से निकल पड़ा।मुझे अपनी छाती पर दबाव महसूस हुआ। मैं जीजू के नीचे दब चुकी थी। जीजू मेरे ऊपर चढ़ चुके थे। मैं हिल डुल कर कसमसाने की कोशिश करने लगी। इससे वो अपने लण्ड को मेरी चूत पर सेट करने में सफ़ल हो गये थे। मेरे मन में आनन्द की तरंगें उठने लगी थी।आनन्द इतना अधिक आने लगा था कि मैंने फिर अपने आपको ढीला छोड़ दिया। जीजू धीरे से मेरे ऊपर सेट हो गये थे। मेरे तपते शरीर पर उनका भारी शरीर सवार हो चुका था। मेरे गुप्त अंगों पर दबाव बढ़ता जा रहा था। फिर मैं भी अपनी चूत को उनके भारी लण्ड पर दबाने लगी।मेरी चूत लण्ड लेने के लिये बार बार ऊपर उठ कर उनके लण्ड को दबा रही थी। मेरे मुख से आनन्द भरी सिसकारी निकलने लगी- ओह्ह मेरे जीजू…मैं तो मर गई… उनका लण्ड मेरी नाजुक सी चूत को धीरे धीरे घिसने लगा। मेरा दिल पिघलता जा रहा था। मैं तो चुदने के तड़पने लगी।‘तनिषा, लण्ड लोगी?’















