आज तो मेरे लंड का भाग्य खुल चुका था। बहुत मेहनत के बाद आज भाभी जी के बोबों को दबाने का मौका मिल रहा था। भाभी जी धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।तभी मुझे लगा ये ही सही मौका था, भाभी जी को बेड पर पटक दे और चढ़ जा भाभी जी पर, ठोक दे भाभी जी की चूत में लंड। तभी मैंने भाभी जी को उठा कर बेड पर बेड पर पटक दिया, और मैं झट से भाभी जी के ऊपर चढ़ गया। फिर मैं भाभी जी के चिकने गले पर किस करने लगा। तभी भाभी जी आतुर होकर मुझे बाहों में कसने लगी। मैं भाभी जी के गले पर ताबड़-तोड़ किस कर रहा था।“ओह धर्मेश जी। उन्ह सिसस्ससस्स आह्ह।”भाभी जी कसमसाते हुए मुझे बाहो में दबा रही थी। तभी भाभी जी ने मेरी टी-शर्ट खोल फेंकी। अब भाभी जी मेरी पीठ पर नाख़ून गढ़ाने लगी।“उन्ह ओह सिससस्स आह्ह सिसस्ससस्स।”फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी के गले पर किस किये। अब मेरा लंड ज्यादा इंतज़ार करने के मूड मे नहीं था। तभी मैं फ़टाफ़ट से नीचे सरका और फिर भाभी जी की टांगे उठा कर उनकी चड्डी को खोल फेंकी। भाभी जी की चड्डी पूरी गीली हो रही थी। इसका मतलब भाभी जी का पहले ही पानी निकल चुका था। अब मैंने मेरा पाजामा खोल कर लंड बाहर निकाल लिया।अब मैंने















