हाँ… भाई….ऐसे…ही…. अब समझ गया ना भाई.मैं—हाँ दीदी… समझ गया…. XXX Hindi उूउउइई माआ… मर… गयी… आआअहह.मैं पूरे आधा घंटे तक दीदी की चुचियो को बेरहमी से मसलता रहा… पूरी लाल हो गयी थी.. यही….ये छेद तेरी दीदी की बुर को चोदने के लिए है…. ले मेरे भाई…देख ले अच्छे से अपनी दीदी की बुर को….दीदी ने अपने दोनो हाथो से अपनी बुर की दोनो फांको को फैला फैला कर बुर दिखाने लगी… बुर की दोनो फांके आपस मे चिपकी हुई थी… बुर के अंदर लाल लाल दिखाई दे रहा था… पूरी गीली हो चुकी थी.मैं—ये इतनी गीली क्यो है दीदी..किरन—क्यो कि तेरी दीदी की बुर बहुत चुदासी है मेरे भाई… इसीलिए गीली हो गयी है.मैं—इसमे तो दो दो छेद हैं… चोदने वाला कौन सा है…किरन (बुर को और फैलाते हुए)—ये देख….ये उपर यहाँ पर ये छेद जो है ना… वो तेरी दीदी के मूतने का छेद है……अब उसके नीचे देख… नीचे वाला छेद ….हाँ.. बृजेश… रोज घुसेड़ना अपना लंड… खूब चोदना मेरी बुर… मैं तो कब से तुझे अपनी बुर देना चाहती थी…मैं—अब से रोज पेलुँगा तेरी बुर दीदी…किरन—हाँ भाई… रोज खूब पेलना अपना लंड… अपनी दीदी की बुर मे घुसेड घुसेड कर… बार बार घुसेड़ना… थोड़ा सा भी मौका मिलने पर घुसेड देना अपना लंड मेरी बुर मे… बोल रोज हर दो दो घंटे मे लंड घुसाएगा ना अपनी दीदी की बुर















