भारतीय मधुमक्खी की मीठी चुभन

मेरे देवर!! हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी। मेरी एक एक हड्डी और एक एक पसली चटक रही थी। बृजेश का बदन मुझसे भारी और विशाल था। वो मुझे किसी खिलौने की तरह खा रहा था। कभी मेरी बायीं टांग उठाकर चोदता, तो कभी मेरी दाई टांग को अपने कंधे पर रखकर पेलता। अब तक वो मेरी बुर में 100 150 धक्के तो आराम से दे चूका था। फिर उसने अपना लंड निकाल लिया और किनारे ही लेट गया। उसका लौड़ा बड़ा गुलाबी गुलाबी और तना हुआ दिख रहा था।“ओह्ह भाभी!! BF XXX मेरे देवर आज मेरी सर्दी को भगा दो। देखो कितनी ठंड है की मेरी एक एक हड्डी कांपी जा रही है” मैं बोली.“भाभी जान!! हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .अई… उ उ उ उ उ…” बोलकर सिसकियाँ लेने लगी। लाल पेटीकोट के भीतर मेरी पेंटी चूत के रस से गीली हो गयी थी।“अह्हह्हह… बृजेश!! मैं तो कबसे इस पल का इंतजार कर रही हूँ” मैंने कहा.उसके बाद वो जीभ लगा लगाकर मेरी चूत की चटनी को चाटने लगा। मेरा रोम रोम पुलकित हो रहा था। मेरे जिस्म के सबसे सम्वेदनशील हिस्से पर वो ऐसे चाट रहा था की मुझे सर्दी में गर्मी महसूस होने लगी। देवर ने तो दिसम्बर के मौसम में जून वाला मजा दे दिया। मुझे पूरे बदन में बिजली का करेंट सा लगने लगा।जैसे हजारो

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