भारतीय भाभी की गर्म कहानी

तो मैंने मैनेजर को कुछ सनैक वगैरह भिजवाने को कहा और मैं वंदना के साथ उस केबिन के अन्दर आ गया। कुर्सी पर बैठते ही मैंने वंदना पर पहला वही सवाल दागा कि वो वापस क्यों नहीं जाना चाहती.पर उसने भी वही रटा रटाया जवाब दिया।तभी मैंने वंदना के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा- देखो बेटी, मैं ही रोहित की माँ और बाप हूं। अब अगर रोहित की माँ होती तो वो तुमसे पूछ कर समस्या का समाधान निकालती।फिर मैंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- देखो बेटा, मैं जानता हूं कि जरूर ऐसी कोई बात तुम दोनों के बीच हुयी है जो मुझे बताने के काबिल तो नहीं है और जिसके वजह से तुम वापस भी नहीं आ रही हो।लेकिन वंदना ने मेरी बात को काटते हुए कहा- नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं है।“नहीं बेटा, बात तो कुछ न कुछ जरूर है। नहीं तो मुझे बताओ, नयी ब्याही लड़की भला अपने ससुराल से दूर रह सकती है?” इतना कहकर एक बार फिर मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लिया और बोला- देखो वंदना, चाहे तुम मुझे अपनी सास समझो, या ससुर समझो, या दोस्त, जो कुछ भी समझना है समझो, लेकिन आज अपनी समस्या मुझसे शेयर करो। क्योंकि मैं अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को तुम्हारे न आने का कारण नहीं बता पा रहा हूं।इतना कहते

भारतीय भाभी की गर्म कहानी

Related videos