आह धीरे से मेरे होंठ! XXXBF ये क्या कर रही हो उर्मिला?तो मैंने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये- मेरी आकृति जान! सच्ची बहुत तरसी हूँ इस प्यारी चूत के लिये मैं! वो तो!हाँ बोलो ना आकृति प्लीज!तो आकृति ने मेरा हाथ अपनी सलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली- वो तो इसे खोलने के मूड में था।फिर आकृति?मैंने रोक दिया उसे!क्यों आकृति ? कैसे किया था?हट बदतमीज़! आह उर्मिला!उठो न प्लीज अब!हम दोनों उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुँह में सिसकी- उतारो न उर्मिला प्लीज!और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया।आअह आकृति! मेरी जान, सच्ची कहां छुपा रखे थे ये प्यारे-प्यारे दूधु तूने! आह मेरे दूध आऐ ए माँ! दिल नहीं चाहा तुम्हारा।वो मेरे ऊपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- उर्मिला, सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैंने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका क्योंकि डर लग रहा था। और मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गई मज़े में!मेरा हाथ उसके चिकने मुलायम पेट पर आया और मैं उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी- आह आकृति!















