भारतीय अंदाज़ में जोशीला मज़ा

इसे पकड़ और जोर जोर से मुठ दे” बाबूजी बोले.“क्यों??” मैंने कहा.“जो कहता हूँ कर वरना अभी मार पड़ेगी” वो मुझे रॉब दिखाकर बोले.मैं थोडा भयभीत हो गयी और लंड फेटने लगी। इस तरह से रोज ही होने लगा। बाबूजी को जब लंड पर मुठ लेनी होती मेरे पास चले आते। फिर चूसाने का काम शुरू कर दिए। धीरे धीरे मुझे आदत सी हो गयी। अब मेरी चुदाई की घडी पास आ रही थी।“डिंपल!! ये चूत नही है!! BFSex .अई..अई…..अई..मम्मी….”करने लगी। फिर तो सिलसिला ही शुरू हो गया था।बाबूजी रोज पहले संध्या चाची को चोदते। फिर मेरे पास आकर चूत सहलाते और मेरे 34” के दूधो को दबाते थे। एक दिन हद हो गयी। चाची रात के समय किसी फ्रेंड के घर गयी हुई थी। अभी शाम के 8 बजे थे। बाबूजी अपनी लुंगी पहने मेरे सामने आ गये और लुंगी खोल दी। उनका काला कलूटा 10” मोटा लंड मैंने साफ़ साफ़ देखा।“आप मुझे क्यों ये दिखा रहे हो??” मैंने कहा.“डिंपल!! ….मेरे आमो को दबा दबाकर रस निकाल लो। मेरे दोनों कबूतर आपके ही है!!…..अह्हह्हह…अई..अई.” मैं कहने लगी.बाबूजी पूरी तरह से सेक्सी हो गये और 30 मिनट मेरे अनारो को दबा दबाकर रस लिया। मेरी समीज अब जाकर उन्होंने उतारी। मुझे नंगा किया पर चूत पर चड्डी अभी भी थी। उसके बाद मेरी चूत को चड्डी के उपर से रगड़ने लगे। मैं कुलबुलाने

भारतीय अंदाज़ में जोशीला मज़ा

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