पर.. मै एक सेक्सी किताब की कहानी पढ़कर अपने लौड़े को मुठिया रहा था। इसे मैने स्टेशन के बाहर एक फुटपाथ से खरीदा था। किताब की कीमत थी 50 रूपये। लेकिन जो मजा मिल रहा था उसकी कीमत का कोई मूल्य नहीं था। इस किताब को पढ़ कर मै पचासों बार अपना लौड़ा झाड़ चुका था और हर बार उतनी ही लज्जत और मस्ती का अहसास होता था जैसे पहली बार पढ़ने पर हुआ था। Sweet Girl Virgin Sexकहानी में एक ऐसे ठर्की बूढ़े का जिक्र था जिसे घर बैठे-बैठे ही एक कुँवारी चूत मिल जाती है ! BF XXX धन्यवाद. धन्यवाद. इस कहानी को पढ़कर मै भी दिन में ही सपना देखने लगा था जैसे मुझे भी घर बैठे-बैठे ही कुँवारी चूत मिल जायेगी और फिर मै उसमें अपना मोटा मूसल घुसा कर भोषड़ा बना दूंगा।यही सोच-सोच के लौड़े को मुठियाकर पानी निकाल देता था। लेकिन फिर एक अजीब सी चिन्ता भीतर कहीं सिर उठाने लगती की कहीं अपनी जवानी बरबाद तो नहीं कर रहा हूँ। इसी चिन्ता से ग्रस्त मै मिला ‘बाबा लौड़ा भस्म भुरभुरे’ से। जिनकी दुकान स्टेशन के पास एक गली के अंदर थी।पहले तो भीतर जाने में संकोच लगा लेकिन जब देखा की दुकान एकदम किनारे हैं और कोई भी इधर आता जाता नहीं दिख रहा तो मै जल्दी से भीतर घुस गया। पूरी की पूरी दुकान तरह-तरह की










