इसकी जवानी को सलाम कर आके भाई! मैंने अपने नँगे ठंड में हाथ में लण्ड लेकर काँपते भाई से कहा। मैंने कपड़े नही पहने बस दूसरी चारपाई पर चला गया। रजाई खींच के लेट गया। सुस्ताने लगा।अनुपम आया और सीधे छिनार की बुर की फाकों के बीच लण्ड सैंडविच की तरह रखा और मार दिया गच से। लण्ड अंदर और छिनार के पेट की चर्बी बाहर। मेरा भाई चोदने लगा छिनार को। मैंने सिर के नीचे हाथ रखकर लेट गया और अपने सगे भाई से चुदती उस औरत के मुख को देखने लगा।कितनी किस्मतवाली है रंडी!! XXX Hindi मैंने आवाज ही।मैदान आई हूँ! अनुपम ने पूछा।खेत में हगने आयी है! वो रुमाल बन्द मुँह से बराबर चीखे जा रही थी। पर उसकी आवाज सिर्फ झोपडी में ही सुनाई दे रही थी।तेरी तो मैं चूत मारकर रहूँगा! इसकी जवानी को सलाम कर आके भाई! वो औरत काँप गयी और हाँ में ऊपर नीचे सिर हिलाने लगी। मैंने अनुपम को इशारा किया झोपड़ी में आग ना लगाने का। उस ने लालटेन फिर से खूटी में टांग दी।मैंने ठण्ड में कपड़े निकाल दिए। बर्फ सी कुल्फी जमी जा रही थी। पर गर्म चूत मिलेगी, इससे राहत थी। मैंने उस जवान मालदार और फूली फूली पूड़ी की तरह दुधदार छतियों वाली औरत के पैर खोल दिए चोदने नोचने के लिए। उसके हाथ और मुँह को बंधे रहने दिया।।मैं