मकान मालिक ने गर्म नौकरानी को जोरदार चोदा

पेंटी को निकाल लेने दो प्लीज़!बड़ी मुश्किल से वो राजी हुई, एक झटके से पेंटी निकाल फेंकी। अब शोभा मेरे सामने एकदम निर्वस्त्र एवं बेपर्दा लेटी हुई थी, मैं उसकी चूत के दर्शन करने लगा, एकदम नई और कोरी लग रही थी, त्वचा एकदम मुलायम थी, थोड़ी देर पहले ही तो शेविंग हुई थी चूत को खोलकर देखा तो गुलाबी छिद्र कमल की पंखुड़ी जैसा दिखाई दिया।मैंने चूत का चूमा लिया तो शोभा चिहुंक उठी और मेरे सर को थाम लिया। मैंने चूत के ऊपर मदनमणि को जीभ से सहला दिया, होंठों से भी दबाकर खींचा। अब कमरे की शांति शोभा की आहों से भंग हो रही थी, मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था।अब शोभा मुझे अपनी ओर खीच रही थी, मैंने शोभा को बिस्तर पर ही खड़ा करके निहारा फिर पूरे शरीर को चूम डाला। अब शोभा से ठीक से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था, वो मेरी बाँहों में झूल गई। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर आकर स्तन दबाने लगा, वे सच में बहुत कठोर हो गए थे।मैं स्तनाग्र को मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरा लंड पूरी तरह से तन्ना गया था, वह तो अपने लिए जगह खोजने में लगा था और धीरे धीरे मदनमणि को ठोकर मार रहा था। शोभा की आह रुकने का नाम नहीं ले रही थी। मैं भी यही

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