तो यही डिसाइड हुआ की दादी और पोती दोनों मेरे साथ ही रह ले ताकि हम तीनो को ही किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। इसलिए दीप्ती और दीप्ती की दादी दोनों मालवीय नगर से नॉएडा आ गए।उसी दिन पापा और पापा के दोस्त गौतम अंकल दोनों ऑफिस टूर पर चले गए। मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था क्यों की दादी भी थी ऐसा लग रहा था की वो हमेशा अपना चलाएगी और डाँटेगी जैसा की दादी करती है। पर मन ही मन दीप्ती को लेकर ख़ुशी थी। एक जवान लड़की जब घर में आ जाये और वो भी हॉट और सेक्सी हो तो कैसा लगेगा।मैं भी उसके बड़ी बड़ी सुडौल चूचियों और गांड के उभारो देखकर पागल बन रहा था मन ही मन सोच रहा था की काश मुझे एक किस करने दे देती, दीप्ती की होठ पिंक कलर कर था और बड़ी सेक्सी था। बदन गोरा और चाल हिरणी की तरह मेरा मन जब से आई थी तब से ही ललच रहा था।और रात के करीब ग्यारह बजते बजते हम दोनों एक दूसरे के करीब आ गए। उसने मुझे अपना दोस्त बनाने का ऑफर दे दिया उसने कहा मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है मुझे किसी पर विस्वास नहीं होता और मैं उसको विस्वास दिलाने में कामयाब हो गया की मैं एक बेहतरीन बॉयफ्रेंड बनुगा जैसा वो चाहती है।पर दोस्तों भावनाओं
गर्म पड़ोसन के देवर ने मेरी चूत की प्यास बुझाई
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