लेकिन, तभी फोन की बेल बाजी और मैं अंदर चला गया.. XXX BF इस कारण, हम लोग आपस में काफ़ी खुले हुए थे। यहाँ तक की कभी भी किसी भी बात पर, अपने विचार व्यक्त कर सकते थे।एक तरह से, हम में किसी प्रकार का कोई परदा नहीं था। मम्मी और मेरी बहन जो की मुझसे करीब एक साल बड़ी थी ने कभी मुझसे शरम या परदा नहीं किया.. मम्मी इस बात से खुश थीं की गेस्ट हाउस में रुकने से हमें होटल का भारी रूम चार्ज नहीं लगेगा और यहाँ हम, कम पैसों में कई दिन मज़े कर सकते हैं।खैर, गेस्ट हाउस में आकर पता चला की यहाँ पर घूमने के लिए एक गाड़ी भी खड़ी है.. जिससे की पानी में, गंदगी सी महसूस हो रही थी..तब मम्मी बोलीं – चलो, पत्थरों की और चलो… अंदर जाने में तो डूबने का डर रहेगा…फिर, मैं और मम्मी उथले पानी में ही सीने तक डूब कर पत्थरों पर बैठ गये.. मम्मी से इतना ज़्यादा चिपकने का मौका, मैं खोना नहीं चाहता था.. मैंने देखा उनमें वह आदमी भी था.. जैसे तोलिये की आड़ में, या पीठ कर के..जिस कारण, मैं बड़ी सफाई से निगाहें चुरा कर उन दोनों के मांसल बदन का भरपूर रसस्वादन करता था… इसका एक कारण, यह हो सकता है की मैं बचपन से ही काफ़ी सीधा साधा, भोला भंडारी सा दिखता















