चूचियों का साइज 38” का था। कितनी खूबसूरत चूचियां थी वो। कितनी बड़ी बड़ी और गोल गोल। चूचियों के चारो तरह गोल गोल काले घेरे तो मेरी जान ही निकाल रहे थे। लग रहा था की उपर वाले ने मेरी भांजी को बड़ी फुर्सत में बनाया था। मैं तो उसकी जवानी देखकर पागल हो रहा था।मैंने जैसी ही शिखा की मस्त रसीली चूचियों पर हाथ रखा वो “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” की आवाज निकालने लगी। उसे कुछ हो गया था। आखिर वो महान पल आ गया था जब मैं अपनी भांजी की रसीली चूचियों को सहलाने लगा था। सच में ये पल मेरी जिन्दगी का सबसे हसीन पल था।मैं कभी सोचा नही था की कभी शिखा की चूत मारूंगा। पर आज मेरा सपना साकार होने वाला था। मैं धीरे धीरे उसकी चूचियां सहलाने लगा। शिखा मना नही कर रही थी। वो राजी थी और आज चुदना चाहती थी। धीरे धीरे मेरे हाथ पुष्प की रसेदार चूचियों पर इधर उधर जाने लगे। मुझे अजीब सा नशा हो गया था।हम दोनों मामा भांजी आज जमीन पर ही सेक्स का मजा लेने वाले थे। कितना मदहोश कर देने वाला पल था वो। शिखा की मुसम्मियों को मैंने हल्का हल्का दबाना शुरू कर दिया था। वो मचल रही थी। उसने आंख बंद कर ली थी। फिर मैं और तेज तेज शिखा की मुसम्मी को दबाने
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