मैंने जल्दी से तौलिया उठा कर अपने बदन को ढका और रौशनी की ओर देखा तो पाया कि वह मुस्करा रही थी।जब मैंने उससे मुस्कराहट का कारण पूछा तो उसने बताया कि सुबह आठ बजे मेरे कमरे में आई थी तभी उसने मुझे नंगा सोते हुए देख लिया था और तब उसने कमरे की सफाई करके लाईट और टीवी बंद कर दिया था। मैंने चारों ओर नजर दौड़ाई तो देखा कि कमरे का हर सामान करीने से रखा हुआ था तो मुझे विश्वास हो गया कि रौशनी कमरे की सफाई करते समय ज़रूर मुझे नंगा सोते हुए देख चुकी थी और मैं शर्म से झेंप गया।मैं अपनी शर्म और झेंप से उभर ही नहीं पाया था कि रौशनी ने मुझे मेरी लुंगी देते हुए कहा कि मैं उसे पहन लूं और तौलिया उसे धोने ले लिए दे दूं क्योंकि उस पर मेरा ढेर सारा माल लगा हुआ था। रौशनी की वह बात सुन कर तो मैं पानी पानी हो गया और मुझे लगा कि मेरी रही सही इज्ज़त भी मिटटी में मिल गई थी।खैर मैं लुंगी पहन कर और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि रौशनी रसोई में आलू की सब्जी बना चुकी थी और मेरे लिए पूड़ी तल रही थी। मैं खाने की मेज पर बैठ गया और चुपचाप रौशनी द्वारा दिया गया नाश्ता खाता रहा।मुझे गुमसुम















