मैंने कुछ नहीं कहा बस काम में लगा रहा।मैंने उनके होंठ पर किस किया और नीचे की तरफ बढ़ गया। मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को उनके जिस्म से अलग कर दिया। मौसी अब केवल एक नीले रंग की छोटे फूल वाली चड्डी में रह गयी थी। मैंने उनकी चड्डी को जोर से खींचा जिससे वो फट गयी और उनकी टांगों को खोल कर उनकी चूत को मुँह में भर लिया। और चूसने लगा, कभी उनकी चूत को चाटता तो कभी चूत के दाने को दांत से काट लेता तो वो दर्द से मचल जाती।मैं बेड से उठा और अपने सारे कपड़े उतार कर मौसी के मुँह के पास खड़ा हो गया। उन्होंने आगे बढ़ कर मेरा लंड मुँह में भर लिया जैसे उन्हें पता हो कि मुझे क्या चाहिए। लंड चूसने की वजह से गीला हो गया था। मैंने अपना गीला लंड उनके मुँह से बाहर निकाला.और उनकी टांगों के बीच में बैठ कर लंड को उनकी चूत की लकीर में रगड़ने लगा। फिर एक तगड़े शॉट के साथ पूरा अंदर कर दिया। मेरा लंड उनकी चूत में फिट हो गया था। इस अचानक हमले से उनका मुँह खुल गया था। कुछ देर रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु किए।मौसी की चूत गीली हो गई थी और चोदते वक़्त पच-पच की आवाज आ रही थी। मौसी भी अब















