मस्त देसी चूचियाँ

मैंने तो ऐसी मेगजीन पहली बार देखी थी।“पसन्द आ गई क्या?”“मेगजीन जोरदार है यार. मुठ्ठ मारेगा ना. XXX BF मैंने उसे दबा कर चूसना शुरू कर दिया। उसकी तो चोदने जैसी गाण्ड चलने लगी और उसने तो जैसे धक्का मारना आरम्भ कर दिया। उसके लण्ड चूसने से मेरा शरीर पिघलने लगा था, जैसे अकड़न सी भर गई थी।“प्रशांत, मेरा तो निकलने वाला है. लण्ड चूत की किताब है. आगे भी मजे करेंगे. बढ़िया वाली है. तेरा लौड़ा तो फ़न्ने खां हो रहा है?”उसके कहने से मैं एक बारगी शरमा सा गया और अपने लण्ड पर हाथ रख लिया।“अरे उसे फ़्रेश हवा तो लेने दे. बस कर.”“मेरा भी अखिलेश. कि वाकई किताब फ़न्ने खां थी।“अरे मजा आया कि नहीं. उसे कुरेदने में उसे बहुत सुख मिल रहा था। उसके मुख से सिसकारी भी निकल रही थी।उसकी गाण्ड के छेद का छल्ला बार बार अन्दर-बाहर हो कर खुल और बन्द हो रहा था। मैंने दारू के गिलास में अपनी अंगुली भिगो कर उसे उसकी गाण्ड में धीरे से डाल दी। उसने भी प्रत्युत्तर में मेरा लण्ड जोर से दबा दिया। तभी उसने अपना सर उठा कर मेरा खुशबूदार लण्ड अपने मुख में भर लिया। मुझे एकदम गीला गीला सा लगा। मुझे लगा कि उसके कड़क लण्ड का स्वाद मैं भी ले लूँ।“प्रशांत, सीधा हो जा, मुझे भी तेरा लण्ड चूसना है.

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