ये सिलसिला कुछ देर चलता रहा और आखिर मैं फिर झड़ गया. BFSex उसके दायें हाथ ने मेरे लंड को थाम रखा था और वो हल्के हल्के उसे रगड़ रही थी.मुझसे बरदाश्त न हुआ और मैंने कहा, मुझे तो नंगा कर दिया, तुम भी तो कपड़े उतारो.वो बोली… नहीं ये नहीं…मैं बोला… क्या मतलब ?मतलब क्या ? अब मेरी बारी साब. । बिजली मेरे करीब आ गई और उसने अपने तपते होंठ मेरे ख़ुश्क होंठों पर रख दिए.फिर वो मेरे होठों को चूसने लगी. मैने अपने लंड को उसकी चूत में कस कर दबाया और वीर्य की आख़िरी बूंद भी उसकी चूत में निचोड़ दी. मैं उसे बोलने का ज़्यादा मौका नहीं देना चाहता था. अब मेरा लंड शालू के हाथ में था. कुंवारी और तंग तंग सी. अब मेरा लंड उसकी चूत को छू रहा था. हमरी बुर में उंगली डार कर परखते हैं.अरे… ये तुम्हारा बाप तो गायनोकॉलाजिस्ट लगता है.उसने फिर मेरे लंड को पकड़ लिया और मसलने लगी. उसके हाथ बहुत कोमल और गर्म थे, या पता नहीं तेल ही गर्म था. उनके नरम नरम हाथों से मेरी थकान मिटने लगी.वो बड़ी खूबसूरती से मेरे शरीर की मालिश कर रही थीं. अब मैं पूरी तरह लेट गया. अच्छा तो ये है बिजली.नमस्ते बाबू जी.” बिजली हाथ जोड़ कर बोली. दो सौ रुपये ?? मालिश.गरम या ठंडा?दोनों ही कर दो….















