मैंने सोफे के निचे उतर के उनकी दो टांगो के बिच में जगह बनाई. उनके हसबंड जॉब पर गए हुए थे और वो घर में अकेली ही थी.उन्होंने दरवाजा खोला. XXX BF वो मेरी बहन की चचेरी ननद थी और उसका नाम सुरभि था. मेरे होंठो से अब मैं चुन्चियो को चाटने लगा था. उसकी सिसकियाँ बढती ही जा रही थी और वो मेरे माथे को अपनी और खिंच रही थी. मैंने पहले ही कहा था की अगर आप बुरा ना माने तो कुछ कहूँ.उसने हंस के कहा, बाते अच्छी करते हो तुम वैसे.फिर उन्होंने जो कहा उसका तो मुझे अंदाजा ही नहीं था.उसने धीरे से पूछा, तुम कल मुझे मेरे घर आ के मिल सकते हो दोपहर में?मैंने कहा, क्यूँ कुछ काम हैं.उसने नजाकत से हंस के कहा, बड़ा जरुरी काम हैं.मेरे मन में तो लड्डू फुट रहे थे. फिर जब मैंने लंड बहार खिंचा तो उसने निचे झुक के लोडे के ऊपर से सारा माल चाट लिया.उसने खड़े हो के फिर मुझे चुम्मा लिया और बोली की आज बहुत दिनों के बाद उसे पूरा सुख मिला था. मुझे ही रूम में आने से पहले पूछना चाहिए था.मैंने जानबूझ कर ब्रेक लगाया एक खड्डे के सामने और उनका एकक बूब मेरे कमर को टच कर गया.















