इतना कहकर वो ढीली पड़ गई।अंत में मैं जब झड़ने को हुआ तो एक बार फिर सौम्या ने अपने मुंह में मेरा पूरा माल ले लिया। फिर दोनों लोग अपने आपको साफ किये और सौम्या घर जाने के लिये तैयार हुई।मेरे होंठों को चूमते हुए बोली- इन तीन दिनों को मैं भूल नहीं सकती। जिन्दगी भर मेरे अहसास में यह दिन रहेगा।उसके बाद वो चली गई। हालांकि उसके बाद सौम्या से मिलना केवल ऑफिस में होता है। अब सौम्या में इतना बदलाव मेरे प्रति आया है कि वो अब मेरा ध्यान ऑफिस में रखती है और मैं यह ध्यान रखता हूँ कि मेरी वजह से वो दूसरों के सामने रूसवा न हो।अपने दोस्तों के साथ शेयर करे- साढ़े सात का टाईम हो रहा था, दोनों उठे, बारी-बारी से नहाने गये और फिर तैयार होने लगे, खाना खाने के हमारे पास दो विकल्प थे, एक घर में बना कर खाने का और दूसरे होटल में जाकर खाने का…मैंने सौम्या से पूछा तो होटल का तो उसने मना कर दिया, फिर हम दोनों ने मिलकर खाना बनाया और खाना खाकर छत पर चले गये। गर्मी बहुत पड़ रही थी, हवा नहीं चल रही थी, मैंने कई बार सौम्या से वापस नीचे चलने के लिये बोला, लेकिन ‘थोड़ी देर रूको, थोड़ी देर रूको’ कह कर वो बात टाल देती थी।मुझे गर्मी बहुत लग रही थी,










