हाँ……… मैं खेलूँगा…… तुम्हारे साथ…… वो मस्ती वाला खेल.. प्रतिमा ‘ओके… ओके’ बोलती खुद को रोकने की कोशिश करती है मगर वो चुप नहीं रह पाती. BF XXX पेलते रहो….. बेटा हथेली को कस कर दबा देता है.माँ उछल पडती है और हथेली को सीधा करके लंड को पकड़ लेती है और अपने हाथ को तेज़ी से आगे पीछे करने लगती है. उसे याद आता है कैसे पेंटी उसकी चूत के होंठो को चूम रही थी, कैसे वो उसके होंठो के बीच की लकीर के अन्दर को घुसी हुई थी. मगर अगले ही पल वो फिर से अपने लंड पर से हाथ हटा लेता है और झटके से उठ खड़ा होता है.“मुझे खुद पर काबू पाना है….मुझे खुद पर काबू पाना है…..उफफ्फ्फ्फ़… मम्मी यह तुमने मुझे क्या कर दिया है” रिशु खुद को समझा रहा था. प्रतिमा इस बार कण्ट्रोल नहीं कर पाती और खिलखिला कर हंस पड़ती है. माँ बेटा दोनों एक दुसरे को देख हँसते हैं. प्रतिमा मुंह घुमा लेती है. प्रतिमा रिशु के हाथ पर अपने चेहरे को झुकाती है और गहरी सांस लेती है जैसे उसकी खुशबू को सूंघ रही हो फिर वो रिशु की और देखती है तो उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैल जाती है. वो सच में सुबह का दो बार झड चूका था और अगर उसे अब मुट्ठ मारी तो हो सकता है उसका लंड इतना थकने















