मेरे गाल शर्म से लाल हो चुके थे मेरी जुबान मेरा साथ नहीं दे रही थी मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर बुआ भी समझ चुकी थी पर वो मेरे मुंह से सुन ना चाहती थी.बुआ; बोलो ना निशी क्या बनोगी तुम मेरी भाभी बनोगी और या फिर मैं तुम्हारी बुआ ही रहूंगी।इस बार मैंने बुआ की बात सुन कर मैंने बहुत ही धीमे से कहा वो मेरी आप की भाभी और अपना चेहरा छुपा लिया। बुआ ये सुनके मेरे पास आई और मुझे गले लगा के कहा सच बनोगी तुम मेरी भाभी तो मैंने भी शर्मते हुए आंखे नीची किया मुंह हिला कर अपनी रजामंडी बता दी।बुआ ने मुझे अपनी बांहों मैं कस लिया और ख़ुशी के मारे चेक करते हुए ओह्ह्ह्हह्ह भाभी मेरी भाभी तुमने बहुत है अच्छा फैसला लिया हैं। आज से मैं आप को भाभी कहूंगी और आप मुझे बुआ नहीं दीदी कहोगी। मैंने हां में सर हिलाया। बुआ अब मुझे बड़ी इज्जत से तुम नहीं आप बोल रही थी जिससे मुझे अच्छा लगा तो लग रहा था साथ ही मुझे कुछ अटपटा.तो मैंने बुआ से धीरे से कहा दीदी आप मुझसे आप नहीं तुम कहा करो तो बुआ ने कहा नहीं भाभी अब तुम मुझसे छोटी नहीं हो, मैं हैरान थी मैं तो उनसे काफी छोटी हूं पर फिर से ये मुझे ऐसा क्यों कह रहे हैं










