कुछ साल पहले…. XXX BF नहीं, रिंग का वॉल्यूम फुल था।कलाकार मेरी ‘उस’ जगह को गौर से देख रहा था। मैंने कुर्सी की बैकरेस्ट पर सिर रख दिया। होने दो जो होता है। आज होली है। मैरी कैसी होली मन रही है! हाय राम, क्या मैं सचमुच उसके सामने टांगें खोलूंगी? तुमने कहा कि एंजॉय किया भी और नहीं भी किया?”मैंने शब्दों के लिए अटकते अटकते उसे संक्षेप में घटना कह सुनाई। घटना ही ऐसी थी। मैंने उसको ब्वायफ्रेंड को बोली हुई अंतिम बात नहीं बताई कि उसी कलाकार के पास फिर से जा रही हूँ ‘टू गेट प्रोपरली फक्ड…’ मेरी बात सुनता हुआ वह नॉर्मल रहा। लेकिन साथ ही मैंने नोटिस किया कि उसकी पैंट में उभार लगातार बना रहा था, उसे अपने मनोभावों पर नियंत्रण करना आता था।“तुम कितनी अच्छी लड़की हो… उसने तुम्हारी कद्र नहीं की!”“अब क्या फायदा… मिटा दो इसे!”“ना.. ऐसे काम करने वाली लड़की बेवकूफ न होगी तो क्या होगी। वह गया और अपनी पेंसिलें कूचियाँ ले आया। मेरे पैरों के पास एक पिढ़िया रखकर बैठ गया। इस बार उसका नीचे बैठना भी खास मकसद का लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.उसने मेरे पैर उठाकर कुर्सी की सीट पर ही मेरे नितम्बों के पास रख दिए। मैंने अपना मोबाइल चेक किया। स्क्रीन पर कोई मिस्ड कॉल का नोटिफिकेशन नहीं था। कहीं साइलेंट तो















