फिर मैंने और ज़ोर लगाया तो मेरा लंड उनकी गांड में पूरा फिट हो गया. में पहली बार क़िसी नंगी औरत को अपने सामने देख रहा था. XXXBF और कभी मेरी गांड पर चाटा मारती थी तो कभी मेरे गाल या होठों पर किस ले लेती थी क्योंकि में बहुत क्यूट था.एक दिन में जब उनकी दुकान पर पहुंचा तो वो सुबह-सुबह कोई किताब लिए बैठी थी. अब में पीछे होने लगा तो वो बोली कि डर मत बेटा, में तुझे खा थोड़ी जाऊँगी. में इतने सारे लंड दिलवाता तो हूँ. अब मेरा शरम के मारे बुरा हाल था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. फिर एक चीख के साथ उन्होंने अपनी पिचकारी छोड़ दी और फिर उन्होंने मुझे टावल से साफ करके मेरे कपड़े मुझे पहनाकर और कंघी करके उन्होंने मुझे फिर से तैयार कर दिया.अब में बाहर आया तो अंकल जी मुझे देखकर हंस रहे थे. फिर आज मुझे भी शरारत सूझी तो में चुपचाप दुकान के अंदर पहुँच गया, लेकिन आंटी ने मुझ पर ध्यान नहीं दिया, वो तो आँखे किताब में गढ़ाकर बस चुपचाप बैठी थी.मुझे शरारत सूझी और सोचा आज आंटी को डराता हूँ.


