तुम शर्म करो.. आवाज बाहर चली जाएगी।मैंने उसका मुँह हाथ से बन्द कर दिया। उसकी आवाज मुँह के अन्दर की दबी रह गई। वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी। मुझे लगा कहीं काम बिगड़ ना जाए.. BF XXX ओजस्वी थोड़ी देर बाद एक मोमबत्ती जला कर लाई, जिससे थोड़ा बहुत उजाला हो गया था।वो उसे टेबल के ऊपर रख कर मेरी ही रजाई में आ कर अपना पैर डाल कर बैठ गई और औरतों की बातें सुनने लगी। ओजस्वी कुछ इस तरह से बैठी थी कि उसकी तनी हुई दोनों चूचियाँ मेरी नजर के सामने थीं। जिन्हें देख कर मेरा लण्ड अपना नियन्त्रण खोने लगा था।मैं अन्धेरे का पूरा फायदा उठाते हुए उसकी ऊचाईयों को अपनी आँखों से नाप रहा था। थोड़ी देर में ही ओजस्वी ने अपना पैर कुछ इस तरह से फैलाया कि उसका पैर मेरे पैर से टकराने लगा। उसके कोमल चिकने पैरों के स्पर्श ने मेरी भावनाओं को और भड़काने वाला काम किया।मैंने उसे आजमाने के लिए अपने पैरों को जानबूझ कर आगे-पीछे करने लगा जिससे मेरा पैर ओजस्वी के चिकने पैरों से रगड़ खाते रहे। ओजस्वी ने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी, बस हल्की सी मुस्कान के साथ एक बार देखा और फिर सामान्य हो गई।जिससे मेरी हिम्मत को थोड़ा बल मिला। अब मैं अपने पैर को ओजस्वी के पैरों के और करीब ले जाने की कोशिश करने















