ये क्या कर रहे हो!!!” मिश्रा आंटी हंसकर बोली। दोस्तों वो कभी गुस्सा नही करती थी। हमेशा हंसती रहती थी। गुस्सा करना तो जैसे उनको आता ही नही था।“आंटी आप इतनी खूबसूरत हो की जब भी आपको देखता हूँ मुझे कुछ कुछ होने लग जाता है!!” मैंने मस्का लगाया। वो मुस्कुरा दी.“राजीव साफ साफ बता की तुझे क्या चाहिए???” मिश्रा आंटी बोली।दोस्तों वो बहुत गोल मटोल मस्त माल थी। रंग बिलकुल गोरा था, जिस्म भरा हुआ था। फिगर 38 36 32 का था। उनको देखते ही मेरा उनकी रसीली चूत मारने का दिल करने लग जाता था। आज तो मैं अच्छे से सोच लिया था की आज उनको कसके चोदना था।“आंटी!! XXX Hindi बाहर बाहर के मर्द आपको चोद लेते है। आपके हुस्न की जवानी को पी लेते है और मैं तो आपके बगल ही रहता हूँ। फिर भी मैं प्यासा हूँ। आंटी मुझे आपकी मस्त चूत चोदनी है!” मैंने साफ साफ बक दिया। एक बार तो मिश्रा आंटी को जैसे सांप सूंघ गया। कुछ देर के लिए वो बिलकुल चुप हो गयी।“तूने कब देखा की बाहर बाहर के मर्दों का लंड खाती हूँ???” आंटी ने मुझसे पूछा.“आंटी! .अई..अई…..अई..मम्मी….” की आवाज निकालने लगी। शायद उनको भी बहुत मजा आ रहा था। मैं उसके गहरे गले वाले ब्लाउस के उपर से उनके मुलायम चुच्चों को दबा रहा था।मुझे बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर










