मैं निहायत ही जवान और खूबसूरत थी. XXX Hindi बस दोस्तों, शुक्ला सर ने मुझको गले से लगा लिया. ३ साल पहले तक मुझको कोई लड़का नहीं गुर कर देखता था , पर पिछले ३ सालों में मुझको पता ही नहीं चला , कब मेरे मम्मे इतने बड़े हो गए. सर! शुक्ला सर बोले. नही सर, वो बात नही है !! सर ने बिना एक सेकंड बताए मुझको बाहों में भर लिया. मैं चिल्ला न सकू. मैं छटपटाने लगी, सर ने जल्दी से मेरे दोनों हाथों को अपने १ कुंतल के वजन से रोक लिया. मैं अब सफ़ेद कॉटन ब्रा में आ गयी. मेरे बदन की मस्त खुसबू उनकी नाक में उतर गयी. मेरी बात का उनपर कोई असर न हुआ. मस्ती से मेरी चूत पी रहें थे. गाढ़े रंग की खून की बुँदे मेरी चूत ने निकलने लगी. कहाँ आप इतने उम्र दराज कहाँ मैं इतनी कम उम्र की?? दोस्तों, मैं तो अपने सर से ही फस गयी थी. सायद आज मैं भी चुद जाऊ और इनका लंड खा लूँ. उनको पीने लगे, अपना सिर सर ने मेरी दो टांगों के बीच रख दिया था.















