अब रहा नहीं जाता.. मेरी सहेली है.. BF XXX आआआआह” कहते धनेश से लिपटने लगी।धनेश ने मौका देख कर उसे फिर से चित लिटाया और उसके जंघों में आ गया और अपना लंड महक की चूत पर रखा। महक इतना गर्म हो चुकी थी की वह खुद अंकल (धनेश) के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रख कर बोली अंकल.. वैसे ही मेरी बुल बुल.. कहकर निकल पड़ी। घंटी की बजने पर जब धनेश ने डोर खोली तो सामने महक को पाया।“ओह महक… डार्लिंग.. ख़ामोशी से अपना फ्रूटी सिप करने लगी। उसे फ्रूटी का स्वाद कुछ अलग लगी लेकिन वह समझी की यह स्वाद कूलिंग के वजह से होगी और सिप करने लगी।जिंदल महक से इधर उधर के बातें करते अपना हाथ नीचे खिसकाया और उसके पीठ को सहलाने लगा.. नहीं. मममम.. इतनी अच्छी बुर का स्वाद ले रहा हूँ..” और उसके उभरे फांकों पर अपने जीभ फेरने लगा।“आआह्ह्ह.. तो महक बोली.. थैंक यू दीदी..” और उसने दीदी के गालों को चूमि।“लेकिन तुम अपने लिए ले लेती…” अम्मी बोली।“नहीं अम्मी, रोजा कॉलेज जाती है.. यह शराब है.. महँगी लगती है..
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