रात को खाना खा के हम सोने चले गए.. XXX BF मुझे तो धीरज के साथ लूडो खेलने की आदत पड़ गयी थी.वह अक्सर स्कूल से सीधे मेरे ही पास आ जाता और मैं उसका खाना भी तैयार रखती थी. और मेरे होंठ दर्द के मरे फड़फड़ा उठे..मेरे उरोज अब नंगे हो चुके थे… उसने मेरी चूचियों को निचोड़ना शुरु किया… जाने कैसे उसके हाथ इतने बड़े बड़े हो गए थे की मेरे दोनों स्तनों को एक साथ मसल रहे थे… मैंने भी अब हरकत में आना शुरु कर दिया था… आपने हाथों से मैं उसके लिंग को सहलाने लगी…जब उसका लिंग मेरे हाथों में आया तो ऐसा लगा जैसे कोई लठ हो.. मेरी चींख निकल गयी “आएएससससस माँ…!” लगा जैसे आज ही मेरी योनि का द्वार खुला है.. एक पल के लिए तो ऐसा लगा जैसे वासना की आग मेरे नितम्बों से होती हुई मेरे जिस्म में फेल रही है… धीरज के हाथ मेरे जांघ के नर्म मांस को नोच रहे थे… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पढ़ रहे है.मैं धीरे धीरे फिसल रही थी मैंने हलके से अपने कूल्हों का उचका कर उसके लिंग को हल्का झटका मारा.











