अपना लंड जल्दी से मेरी चूत में डालो न।”मेरी बात अभी पूरी ही हुयी थी कि पापा ने हल्का सा धक्का दिया और फच के साथ उनके लंड का सुपारा मेरी चूत में घुस गया। मैं एकदम से ‘आउच…’ की आवाज़ के साथ आगे खिसक गयी। मुझे अचानक दर्द का अहसास हुआ पर मैं अपने होंठों को चबाती हुयी शांत पड़ी रही।कुछ देर बाद पापा अपने लंड को अंदर पेलने लगे, मेरा दर्द बढ़ने लगा। धीरे धीरे प्यार से पापा अपना लंड मेरी चूत की गहराई में उतारते रहे। मैं अपनी साँस रोके उनके लंड को अपनी चूत के अंदर लेती रही। 5 मिनट लगे होंगे, पापा का पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस चुका था।इस बीच मुझे कितना दर्द हुआ, ये सिर्फ मैं ही जानती हूँ। बेटी की छोटी सी चूत पापा के विशाल लंड में कस चुकी थी। उनके जरा सा हिलने से ही ऐसा लगता था जैसे मैं मर जाऊँगी। पापा कुछ देर शांत पड़े रहे रहे मैं कभी आँख खोलकर उन्हें देखती तो कभी आँखें बंद करके अपने होंठों को चबाती हुयी अपना दर्द पीती।पांच मिनट तक चुपचाप रहने के बाद मेरा दर्द कम हो गया। अब पापा धीरे से अपना लंड बाहर को खींचने लगे तो मैं फिर से कराह उठी, पूरा लंड बाहर निकालने के बाद पापा फिर से लंड अंदर घुसाने लगे। वैसे
भाई ने गर्मजोशी से अपनी सुंदर बहन को चोदा, पहली बार में ही उसकी चीखें गूंज उठीं
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