पहले से ही उसको मेरा लण्ड चाहिए था। पर मांगने की हिम्मत नहीं थी।” “Sexy Dehati Gori Chudi”मैं उन दोनों प्रेमियों के प्रेम के सामने नत मस्तक हो गया। गँवार, रूखी और तीखी जबान में भी वह एक दूसरे को कितना प्यार कर रहे थे। अचानक मैंने देखा की घर में चारो और पानी बह रहा था। जो पाइप धर्मेन्द्र ने टंकी में रखी थी उससे टंकी भर गयी थी और उसमें से पानी ऊपर से बहता हुआ पूरे घर में फ़ैल गया था। बल्कि मैं भी कुछ समय से पानी में ही खड़ा था। पर उन दो प्रेमियों की चुदाई देख कर कुछ भी ध्यान नहीं रहा था।अचानक मैंने एक अद्भुत दृश्य देखा। धर्मेन्द्र और सरिता की चुदाई का सरिता की चूत से निकला हुआ धर्मेन्द्र के प्रेम रस की बूंदें टपक कर चारों और फैले हुए पानी में गिर और उसमें मिल कर एक नया ही रंग पैदा कर रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे धर्मेन्द्र की पाइप में से सरिता की चूत की टंकी में भरा हुआ प्रेम रस अब पुरे घर में फ़ैल रहा था। तब अचानक ही मुझे दरवाजे पर माँ की दस्तक और आवाज सुनाई दी। वह चिल्ला कर बोल रही थी, “अरे दरवाजा तो खोलो।” माँ कैसे जानती की सरिता ने अपना दरवाजा तो खोल ही दिया था। “Sexy Dehati Gori Chudi”अपने दोस्तों के















