हांजी, कहिये कैसे आना हुआ?वो – जी, हम सरकारी अस्पताल से 5 साल से कम उमर के बच्चों को पोलियो की बूंदे पिलाने आये है। क्या आपके घर में कोई छोटा बच्चा है?मैं – हांजी बच्चा तो है, पर अभी घर पे नही है।वो – क्यों किधर गया है, घर पे नही है तो?मैं – वो दरअसल पड़ोस में शादी हो रही है, उसमे उसके माँ बाप भी शामिल हुए है। तो वो भी उनके साथ ही है। वो तो शाम तक वापिस आयेंगे।वो – ह्म्म्म… अच्छा। क्या एक पानी का गिलास मिलेगा।मैं – हांजी क्यों नही, आइये अंदर आइये।वो – थैंक्स।अंदर आकर वो मेरे सिंगल बैड पे ही बैठ गयी। मैंने उसे घड़े से ठंडा पानी निकाल कर गिलास भरके दिया। वो शायद बहुत प्यासी थी। उसने जल्दी जल्दी गिलास खाली कर दिया। मेने और पानी उसके गिलास में डाला, वो भी पी गयी। पानी पीकर गिलास वापिस करती हुई बोली,” बहुत बहुत धन्यवाद आपका, मेरा प्यास से गला सूख रहा था।मैं गिलास धोकर वापिस रख कर उसके पास आकर बैठ गया। वो – बात दरअसल यह है, मेरी ड्यूटी आपके एरिये में लगी है। मतलब आपके इलाके में मेरा आज पहला दिन है। मैं ज्यादा वाकिफ नही हूँ इस एरिया की, कृप्या आप मुझे बताएंगे किन किन घरो में छोटे बच्चे है?मैं – मैडम, मैं भी यहाँ का मालिक नही हूँ,















