सबने खाना खाया और अपने कमरों में आ गए। अक्षत मामी का इंतजार करने लगा। मगर मामी नहीं आई , अगले दिन दूसरा शनिवार था और दिनेश की छुटी थी अब शनिवार और रविवार को दिनेश घर मे ही था।अक्षत जवान लड़का था मामी ने उसकी चिंगारी भड़का दी थी, जिसको वो बुझा नहीं रही थी। शनिवार की रात को कुछ नहीं हुआ फिर रविवार की रात आई। अक्षत इंतज़ार में था रात के बारह बजने वाले थे ,पूरा सन्नाटा था बस पंखे की और घड़ी की टिकटिक सुनाई दे रही थी।अब अक्षत का सब्र जवाब दे रहा था। उसने कुछ निश्चय किया और अपने कमरे से निकलकर मामा मामी के कमरे की ओर चल पड़ा। बैडरूम का कमरा ढका हुआ था। अंदर से खर्राटे की आवाज आ रही थी। अक्षत ने धीरे से दरवाजा खोला , अंदर मामा और मामी गहरी नींद में सो रहे थे।कमरे में नाईट बल्ब की दूधिया रोशनी थी। कामिनि ब्लाउज और पेटीकोट में सोई थी। वो गहरी नींद में जब सांसे ले रही थी तो उसके उभार ऊपर नीचे हो रहे थे। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। दूधिया रोशनी में उसके गोरे स्तनों की दरार साफ दिखाई दे रही थी। दोस्तों जब इंसान पर हवस का भूत सवार होता है तो वो हर डर भूल जाता है। अक्षत के साथ भी यही हो रहा था।वो दबे















