इसलिए मैंने उसे जोर से चूसना शुरू कर दिया।वह अपने चूतड़ उचका-उचका कर और मजा लेने की कोशिस कर रहा था। कुछ देर जोर से चूसने के बाद मैंने उसके लंड को मुँह से निकाला और अपने निचले मुँह के होंठों से उसे छेड़ने लगी। मैंने उसके हाथ अपने हाथ में पकड़े हुए थे और मेरी मस्त 36डीडी का जोबन उसकी छाती पर रगड़ रही थी।बाहर कुछ देर पहले की बूंदा-बांदी अब घनघोर वर्षा में परवर्तित हो गयी थी। खिड़की पर बूँदों के गिरने की आवाज के साथ-साथ मैं अपनी चूत उसके तन्नाये लंड पर घिस रही थी। अब वह मुझसे याचना करते हुए कह रहा था- “प्लीज़, टेक इट, मेरा लंड ले लो, ओह, ओह…”मैंने एक धीमे धक्के के साथ बस उसके लंड का छोर अपनी चूत में ले लिया और फिर रुक गयी- “ओके, मैं अभी खूब जम के चुदाई कराऊँगी पर पहले एक बात इमानदारी से बताओ…” मुझे मालूम था कि लंड का छोर चूत में फँसा हो तो इस हालत में कोई पुरुष झूठ नहीं बोल सकता।“हाँ पूछो…” बेचारा अजित विवश होकर बोला।“जब तुमने मेरी ननद का जोबन देखा तो तुम्हारा खड़ा हुआ था कि नहीं?” मैंने पूछा।“किसी का भी हो जायेगा, एक किशोरी का खिलता जोबन देखकर…” वह बोला।“नहीं मैं तुम्हारा पूछ रही हूँ, सच सच बताओ नंदिनी का देखकर तुम्हारा खड़ा हो गया था कि नहीं?”“हाँ















