साले, हरामी, ज़ालिम… छोड़ देssssss, मुझे जाने दे.”“क्यूं वहन की लौंड़ी, थोड़ी देर पहले हाथ जोड़कर कह रही थी मेरी चूत फाड़ दो। और अब नखरे दिखा रही है। रांड साली… चुप.”कोई 1 मिनट तक यूंही चूत को लन्ड का अभ्यस्त हो लेने देने के बाद रमाकांत ने एक और करारा झटका मारते हुये अपना 12 इन्च के लगभग का लन्ड, आधे से ज्यादा वंदना की कुंवारी चूत में ठूंस दिया। बेदर्दी से आगे बढ़ते हुए लिंग को कौमार्य झिल्ली की बाधा का सामना तो करना पड़ा परन्तु उसके रोके कौन सा लन्ड आज तक रुका है भला?झटका बहुत करारा था। वंदना की आंखोँ के आगे अंधेरा छा गया। उसकी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे ही रह गई। वंदना एक पल को जैसे अपने होश खो बैठी। “उईईईईई माँ… मर गई मैं”, वंदना की तड़पती चीख से पूरा कमरा गूंज उठा।ऐसी भयंकर पीड़ा हो रही थी कि उसका पूरा शरीर ऐंठ गया। हाथ-पांव सुन्न से पड़ गये। वह बेचारी अभी इस दर्द से उबर भी ना पाई थी कि रमाकांत सिंह ने तीसरा और अंतिम भयंकर झटका मारते हुए अपना एक फुटा काला भुसंड लंड वंदना की कुंवारी, अनछुई, नाजुक सी चूत की पूरी गहराई मेँ उतार दिया।अब तो वंदना को बिल्कुल भी होश नहीँ रहा। दर्द के मारे उसकी आंखोँ से आंसू निकल रहे थे और उसकी