जंगल की रानी और देसी टार्जन का जंगली संभोग

विजय मेरी चूतड़ को दोनों हाँथ से पकड़ लिया और मेरी बुर की क्लिटोरिस को जीभ से चाटने लगे और कभी चूत की गहराई में जीभ ठेल देते. XXX Hindi मैंने उसपर एक-दो बार ऊपर-नीचे हाँथ फेरा उसने हिल-हिल कर मुझसे मेरी मुनिया के पास जाने का अनुरोध किया. उईईईईई मायआ.” मैं अब झड़ने वाली थी. इस तरह पूरी रात मैंने विजय से चुदवाया.अपने दोस्तों के साथ शेयर करे- दोनों इस समय इस प्रकार मिल रहे थे मानो वे बरसो बाद मिले हो.विजय निकास-कास कर धक्के लगा रहे थे और मेरी बुर निचे से उनका जवाब दे रही थी. अपने चूतड़ों को उठाते हुए बोली “और जोर से विजय… और जोर से हाय. मैंने कहा “विजय दूध पि लीजिये” वे चूतते ही बोले “पी तो रहा हूँ”.“अरे! देखने में इतना सुन्दर और अच्छा लग रहा था की उसे प्यार करने का मन होने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.सुपाड़े के छोटे से होल पर प्रीकम की बून्द चमक रही थी. मैंने मुँह से गिलास हटाते हुए कहा “विजय मैं दूध पी कर आयी हूँ” इस बीच दूध छलक कर मेरी चूँचियों पर गिर गया विजय उसे अपने जीभ से चाटने लगे. मैं नंगी थी अब मेरी चूँचिया आजाद थी. कुछ देर विजय मेरे ऊपर से हट कर मेरे बगल में आ गए. मेरी जांघो को फैला कर अपने कन्धों

जंगल की रानी और देसी टार्जन का जंगली संभोग

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