गांव की गर्म मस्त देसी भाभी मुंह में ले रही थी लंड और बोल रही थी गंदी हिंदी में

जो भी उसको देखता है मुझे पक्का यकीन है कि कभी ना कभी उसके नाम की मुट्ठ ज़रूर मारता होगा। मतलब इतनी खूबसूरत और ज़बरदस्त कद-काठी की स्वामिनी है। मैंने खुद उसके नाम से अपने ठुल्लू को कई बार पीटा है।तो किस्सा यूँ शुरू हुआ कि हम एक शादी में दिल्ली में इकट्ठे हुए। उधर लड़की की शादी थी तो पूरा बैन्क्वेट हॉल बुक था। लड़की की शादी थी और वो भी रात की शादी। यह बात नवम्बर की है, मौसम बड़ा सुहावना, हल्की ठंड थी। सब अपने-अपने बेस्ट ड्रेस में सज-संवर कर शादी के मंडप में पहुँच चुके थे। मैं भी परिवार सहित पहुँच चुका था।जाते ही रिश्तेदारों के साथ मेल-मिलाप के बाद सब अपने-अपने ग्रुप्स में बँट गए। हम पीने वाले अलग, लेडीज अलग, बच्चे अलग। शादी रात को देर से होनी थी, 2-3 पैग लगा कर हल्का सा सुरूर बन गया था। पीने के बाद मेरी आँखें निवेदिता को ढूँढ़ रही थीं कि साली साहिबा नहीं दिखीं।जब दिमाग़ में दारू चढ़ी हो तो दूसरी औरत वैसे ही अच्छी लगने लगती है, चाहे आपकी अपनी बीवी कितनी भी शानदार क्यों ना हो। खैर मैं भी अपने साढू साहब के साथ पंडाल में चला गया, पैग मेरे हाथ में ही था। आगे गए तो साढू भाई को कोई मिल गया और मैं आगे बढ़ गया। आगे से आ गई निवेदिता… उफ्फ

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