प्लीज कुछ तो बोलो। आज लोगे मेरी चूत। तुमको भी मजा मिल जाएगा। इधर मैं भी अपनी चूत की प्यास बुझा लुंगी” भावना बोली.अब देर करना सही नही था। दोस्तों मैं अपना कच्छा उतार दिया। भावना के पैर खोल दिए। जिस गद्दे पर वो लेती थी वो काफी मोटा और नर्म और आरामदायक था। भावना की कमर पकड़कर मैं उसे किसी रंडी की तरह अपनी तरफ खीच लिया। उसके पैर खोल दिए। उसकी चूत में मैंने थूका तो सीधा चूत पर जाकर गिरा। अपना लंड मैंने हाथ से पकड़ लिया और भावना के चूत के दाने पर घिसने लगा।वो“अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की मधुर आवाजे निकालने लगी। मैं 5 मिनट तक अपनी भतीजी को तड़पाता रहा। अपने मोटे 10” के रोकेट जैसे दिखने वाले लंड से उसके चूत के दाने को घिसता रहा। भावना कसकती रही। आखिर वो ग्रेट पल आ गया जब मैं अपनी सगी भतीजी की रसीली चूत में लंड सरका दिया और घपा घप उसे बजाने लगा।हम दोनों की जन्नत की तरह आनन्द की प्राप्ति होने लगी। हम दोनों चाचा भतीजी भरपूर यौन सुख का मजा लेने लगे। जल्दी जल्दी मैं अपनी भतीजी की बुर चोदने लगा। वो मस्त हो गयी। उसकी हालत, उसका चेहरा ये बताने के लिए पर्याप्त था की वो उच्च स्तर का मानसिक और शारीरक सुख का मजा ले रही थी।दोस्तों आज मेरे घर















