कहने लगी कि चाचा चाची की निरोध लगाकर ही करते हैं। उसने यह भी बताया कि उसने दरवाजे में एक छेद ऐसा कर रखा है कि जिससे वह जब चाहे उन लोगों की चुदाई देखे, मगर वह जान नहीं सकते।ऐसे में यात्रा जब समाप्त हुई तो पता चला कि गाड़ी रास्ते और लेट हो गई। स्टेशन पर पहुंचते-पहुंचते सात बज गये। हल्का अंधेरा हो गया। सुधा डरने लगी। लेकिन बस जल्दी ही मिल गई। कुछ दूर जाने के बाद पहिया पंक्चर हो गया। और देर होती देख सुधा घबराने लगी, लेकिन मेरा मन प्रसन्नता से झूम उठा।मैंने निश्चय कर लिया अब सुधा को कुंआरी नहीं रहने दूंगा। जब हम लोग मुहानी पर पहुंचे तो आठ का समय हो गया था। अंधेरा घिर आया था, लेकिन चांद भी निकलने की तैयारी में था। सुधा तो रोने लगी कि अब क्या होगा! XXX BF मैंने दिलासा दिया तो जाने को तैयार हुई। सामान साह जी के यहां रखने गये तो योजना के अनुसार सुधा को थोड़ा दूर खड़ा करके कह दिया कि चाची हैं।वह अड़ गये कि सायकिल ले लो, लेकिन मैंने यह कहकर मना का दिया कि वह पैदल ही जायेंगी। गांव में जाने का एक थोड़ा निकट का रास्ता था, लेकिन वह पलाश और कुश के छोटे से जंगल में से जाता था। मैंने वही रास्ता पकड़ा तो वह रुक गई।क्योंकि उसे पता था
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